श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से पीएसएलवी-
सी37 ने 9 बजकर 28 मिनट पर अपनी 39वीं उड़ान
भरी है. कामयाब रहने पर ये प्रक्षेपण स्पेस तकनीक में
मील का पत्थर होगा. ये पहला मौका है जब एक साथ
104 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े जा रहे हैं. इनमें भारत
और अमेरिका के अलावा इजरायल, हॉलैंड, यूएई,
स्विट्जरलैंड और कजाकिस्तान के छोटे आकार के सैटेलाइट
शामिल हैं.
ताजा अपडेट्स:
-अपनी कक्षा में पहुंचा पीएसएलवी-सी37
-कार्टोसैट-2 को जल्द किया जाएगा प्रक्षेपित
-अब तक लॉन्चिंग के सभी मानक सामान्य
-चौथे चरण की मॉनिटरिंग कर रहे हैं वैज्ञानिक
-चौथे चरण में पहुंची लॉन्चिंग
-तिरुअनंतपुरम, मॉरिशस और श्रीहरिकोटा से हो रही है
लॉन्चिंग की मॉनिटरिंग
-अब तक अनुमानित रास्ते पर है पीएसएलवी-सी37
-अब तक मिशन के सभी आंकड़े सामान्य
-लॉन्चिंग व्हिकल से 134 किमी की ऊंचाई पर सुरक्षा
कवच अलग
-अभी तक इसरो की लॉन्चिंग सामान्य
-9.28 मिनट पर 104 उपग्रहों के साथ लॉन्च हुआ
पीएसएलवी-सी37
इन देशों के उपग्रह शामिल
मिशन के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने एक्सएल वैरियंट का
इस्तेमाल किया है जो सबसे शक्तिशाली रॉकेट है. आपको
बता दें कि इस रॉकेट का इस्तेमाल चंद्रयान और मंगलयान
जैसी अहम मिशन के लिए किया जा चुका है. प्रक्षेपित
किए जाने वाले उपग्रहों में सबसे ज्यादा 96 उपग्रह
अमेरिका के हैं .
मिशन में भारत के दो छोटे उपग्रह भी शामिल हैं.
प्रक्षेपित किए जाने वाले सभी उपग्रहों का कुल वजन
करीब 1378 किलोग्राम है. दोनों भारतीय नैनो-सेटेलाइट
आईएनएस-1ए और आईएनएस-1बी को पीएसएलवी पर
बड़े उपग्रहों का साथ देने के लिए विकसित किया गया था.
अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की नैनो-सेटेलाइटों का प्रक्षेपण
इसरो की व्यावसायिक शाखा एंट्रिक्स कॉपरेरेशन लिमिटेड
की व्यवस्था के तहत किया जा रहा है. काटरेसेट-2
सीरीज के मिशन का समय पांच साल का है.