अगर हम ईशान कोण व
नैत्रृत्य कोण को ठीक रखें तो हमारा काफी वास्तु ठीक
हो जाता है ईशान शब्द ईश्वर का प्रतीक है ईश+आन
ईशान ईश्वर की आन, मर्यादा, पवित्रता को बरकार
रखना चाहिए।इस कोण में अपवित्र वस्तुएं कचरा
गंदगी आदि नहीं रखनी चाहिए। भारी वस्तु लोहा आदि
भी नहीं रखें। इस कोने में लैट्रिन तो भूलकर भी नहीं
बनाएं और झाड़ू भी नहीं रखें। ऐसा करने से गृह कलह,
संतान विकलांग, वंश वृद्धि में कमी, दुष्चरित्रता,
दीर्घव्याधियों का शिकार होना पड़ेगा या दरिद्रता का
निवास होगा। इस कोने में दरार, गड्ढा, भग्नावशेष
तथा रसोई भी नहीं होनी चाहिए।
यदि फैक्टरी आदि है तो ट्रांसफार्मर, जैनरेटर, भट्ठी
आदि भी ईशान कोण में हों। यदि प्रत्यक्ष चमत्कार
देखना हो तो ईशान कोण में झाड़ू रख कर देखें, शाम
तक झगड़ा हो जाएगा। इस कोने में मंदिर बनवाएं,
भगवान को स्थापित करें घर में चाहे प्राकृतिक वर्षा
का जल हो या कृत्रिम जल, इसका प्रवाह सदैव
उत्तर-पूर्व ईशान में रखें, घर में ईशान कोण
यथासंभव खाली, स्वच्छ एवं साफ रखना चाहिए। घर
के प्रत्येक प्रकोष्ठ में ईशान खाली रहे, ईशान कटा
हुआ भूखंड नहीं होना चाहिए। ऐसे में वहां जल की
समस्या रहेगी।
यदि मकान के ईशान में नदी, नहर, कुआं आदि है तो
वह जमीन सोना उगलेगी, स्कूल है तो बच्चे कामयाब
होंगे, अस्पताल है तो मरीज जल्दी ठीक होंगे, व्यापार
करने वाले सभी लोग धनी तथा संपन्न होंगे। संपूर्ण
दिशाओं में ईशान का विशेष महत्व है चाहे वह मकान
हो या दुकान हो। होटल हो या बहुमंजिली इमारत हो,
चाहे फैक्टरी, कमर्शियल काम्पलैक्स हो ईशान कोण
की रक्षा बड़ी सावधानी के साथ करनी चाहिए।