बीजेपी छोड़ने के बाद टीम इंडिया के पूर्व सलामी
बल्लेबाज सिद्धू कभी आम आदमी पार्टी तो कभी
कांग्रेस से सियासी बल्लेबाज़ी करने की उधेड़बुन में
रहे. आखिरकार केजरीवाल से बात नहीं बनी, तो पंजाब
कांग्रेस के कैप्टन की टीम से सियासी खेल खेलने को
राजी हो गए. अपनी पत्नी को पहले ही कांग्रेस में
शामिल करा दिया. उस दिन मिसेज सिद्धू ने मीडिया से
कहा कि हम दोनों एक आत्मा और एक शरीर हैं, मैं
कांग्रेस में आ गई हूं, तो शरीर आत्मा से कितने दिन
दूर रह सकता है. तय हो गया कि सिद्धू भी पंजाब
कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर के साथ ही सियासी छक्के
चौके लगाएंगे.
19 जनवरी को सिद्धू, कैप्टन अमरिंदर के साथ
अमृतसर में दरबार साहिब में मत्था टेककर पंजाब में
कांग्रेस के लिए बल्लेबाज़ी शुरू करेंगे. पार्टी के साथ
ही सिद्धू की ज्वाइनिंग में अहम भूमिका निभाने वाले
राहुल के रणनीतिकार पीके की कोशिश है कि, अमरिंदर
और सिद्धू में एकता नज़र आए. क्योंकि अब तक दोनों
के बीच क़द को लेकर खींचातानी की ख़बरें आती रही हैं.
कांग्रेस ज्वाइनिंग बीरबल की खिचड़ी सी हो गई
लेकिन उसके बात काफी वक़्त गुज़र गया, सिद्धू की
कांग्रेस में ज्वाइनिंग बीरबल की खिचड़ी सी हो गई.
तमाम तरह के सवाल सियासी मैदान में तैरने लगे, तभी
11 जनवरी को अचानक सिद्धू ने राहुल गांधी से गुपचुप
तरीके से उनके घर जाकर मुलाकात की, तब एक बार
फिर पक्का हुआ कि सिद्धू कांग्रेस में ही आएंगे, फिर
लोहड़ी गुज़र गई, मकर संक्रांति भी चली गयी, तो फिर
अटकलों का बाजार गर्म हो चला, तभी धूम धड़ाके और
ठहाकों के लिए मशहूर सिद्धू ने रविवार सुबह अकेले
चुपचाप राहुल से मुलाकात की और बाद में कांग्रेस ने
फोटो के साथ ट्वीट कर बता दिया कि सिद्धू अब
कांग्रेसी हो गए हैं.
सब कुछ बड़े सन्नाटे में हुआ. मीडिया में अपनी
डायलॉग डिलीवरी के लिए जाने जाने वाले सिद्धू ने
मीडिया में एक शब्द नहीं बोला. हां, एक ट्वीट जरूर
किया, जिसमें पंजाब और पंजाबियत की बात करके
बता दिया कि, भविष्य में सिद्धूवाणी केजरीवाल को
बाहरी बताकर बरसने वाली है.
क्यों देरी?
दरअसल, सूत्रों की मानें तो सिद्धू पहले तो टीवी की
दुनिया के अपने कमिटमेंट पूरे करना चाहते थे, इसलिए
देरी हुई. उसके बाद पार्टी ने उनसे 9 या 10 जनवरी
को पार्टी में शामिल होने की बात की तो सिद्धू ने तारा
डूबा होने का हवाला दे दिया. आखिर सिद्धू कांग्रेस में
सितारा बनने का रहे थे, तो भला सितारों की चाल के
हिसाब से ही चलना छह रहे थे. लेकिन उलटी ख़बरें
मीडिया में ना आएं, इसलिए उनकी राहुल की मुलाकात
करा दी गई.
ज्वाइनिंग शर्त
सिद्धू अब एक नई शर्त रख चुके थे, वो कैप्टन
अमरिंदर और आशा कुमारी के बजाय राहुल गांधी के
सामने कांग्रेस ज्वाइन करना चाहते थे, आखिर सवाल
सियासी क़द का जो था, वो खुद को कैप्टेन अमरिंदर से
छोटा जो नहीं दिखाना चाहते. लेकिन कांग्रेस की
मुश्किल ये थी कि राहुल या सोनिया किसी नेता को
पार्टी ज्वाइन कराने पार्टी ऑफिस नहीं आते, हां-
ज्वाइनिंग के पहले उनकी मुलाकात जरूर राहुल या
सोनिया से करा दी जाती है.
ऐसे में बीच का रास्ता निकालते हुए, राहुल से हुई
मुलाकात की तस्वीरें जारी करते हुए. पार्टी ने उसे ही
सिद्धू की ज्वानिंग करार दे दिया. अब अगले दिन सुबह
कांग्रेस मुख्यालय में सिद्धू मीडिया से मुखातिब होंगे,
जो पहले ज्वाइनिंग के लिए तय की गई थी, तो सभी को
इंतज़ार है कि नई टीम में सिद्धू की सियासी बल्लेबाज़ी
नए अंदाज़ में कैसी होगी.
वैसे पंजाब की सियासी पिच सिद्धू के लिए नई नहीं है,
लेकिन टीम, कप्तान और भूमिका जरूर बदल गई है.
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