फिल्म में बताया गया है कि आज बेटियों का किस तरह ह्रास हो रहा है . किस प्रकार भ्रूण हत्या जैसे कुकर्म को किया जाता रहा है बच्चियों को किस तरह बालविवाह जैसी प्रथाओं की अग्नि में झोंक दिया जाता रहा है , महिला हमेशा से ही यातनाओं का सामना करती रही है, यह फिल्म विश्व को ऐसा संदेश देती है कि महिलाओं का सदैव सम्मान और उनकी रक्षा करना हर जन मानस का कर्तव्य बनता है। क्षेत्रों में आज भी जो कुरीतियां चली आ रही हैं उन पर प्रतिबंध होना चाहिए।
यह फ़िल्म और भी देश विदेश की फ़िल्मों के साथ भारत वर्ष में अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में दिखाई गई है और इनमेसे ६ अवार्ड्स प्राप्त कर चुकी है। जिनमे४ बेस्ट फ़िल्म के व २ बेस्ट डिरेक्टर के।दुनियाँ भर के क़रीब२६ समारोहों में ये भेजी गई है। नैशनल अवॉर्ड के लिए भी भेजी गई है।
इस का निर्देशन, सम्पादन व पटकथा लेखन प्रसिद्ध निर्देशक कृष्ण कांत पण्ड्या ने किया है।जिंहें पहले ,भी अन्य कार्यक्रमों में फिल्म के कारण सम्मानित किया गया है ।
श्री पण्ड्या ने पूर्व में नसरुद्दीन शाह, स्वर्गीय प्राण की फिल्म पनाह और अजय देवगन और नसीरुद्दीन शाह की बेदर्दी का निर्देशन किया है।इनके अलावा चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का जौहर ,जय श्रीकृष्ण व पृथ्वीराज चौहान जैसे सीरियल का डायरेक्शन किया है ।
Tags [Journalist Shailesh Dubey]
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