भोपाल: राज्य के
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस दावे के
बाद कि जब तक इस प्रदेश में लड़कियों और
लड़कों का मामा है, तब तक इस प्रदेश के बच्चों
को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा,
लेकिन उन्हीं के मध्यप्रदेश के शासनकाल में
स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव और बच्चों के लिये
बनाई गई योजनाओं का ठीक से क्रियान्वयन न
होना तो वहीं सतना, सीधी, रीवा, शहडोल,
सिंगरौली में प्रदूषण की भरमार से जो बच्चे पैदा
हो रहे हैं वह अपने साथ कोई न कोई बीमारी लेकर
आ रहे हैं, इस स्वर्णिम मध्यप्रदेश की धरा पर
पैदा हो रहे लेकिन इसके बावजूद भी इस क्षेत्र के
बच्चों के प्रति शासन की कोई योजना आज तक
नहीं बनी, सराकार और प्रशासनिक लापरवाही के
चलते सतना में सात बच्चों की मौत प्रतिदिन हो
रही है इसमें हर तीसरा बच्चा कोख में दम तोड़
रहा है, इस तरह के आरोप किसी पार्टी के द्वारा
नहीं लगाया गया बल्कि स्वास्थ्य विभाग की
वार्षिक रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है,
सतना जिले में नौ माह के अंदर १४५२ बच्चों की
मौत हो गई, ७३२ प्रीमेच्युअर डिलेवरी के केस थे
तो ७२० बच्चे जन्म के बाद एक साल तक जीवित
नहीं रह पाए, उनकी मौत का कारण भी चांैकाने
वाला है, जारी रिपोर्ट मे खुलासा हुआा है कि माँ
और बच्चे ऐनेमिक थे यह चिन्हांकित न होने उनका
इलाज नहीं हो पाया हालांकि इस रिपोर्ट में यह भी
कहा गया है कि हाईब्लड प्रेशर बच्चों को
निमोनिया, डायरिया सहित अन्य बीमारियों की
गिरफ्त में आने के कारण इस तरह से सतना में
प्रतिदिन दस बच्चे दम तोड़ रहे हैं। इस खुलासे के
बाद यह जाहिर हो जाता है कि राज्य सरकार
द्वारा चलाई जा रही बच्चों और महिलाओं के लिये
योजनाओं की जमीनी हकीकत क्या है? यह
स्थिति तो विंध्य की है लेकिन राज्य के
आदिवासी क्षेत्रों मण्डला, डिण्डौरी, झाबुआ,
अलीराजपुर, धार, बड़वानी में भी इसी तरह की
स्थिति बनी हुई है। यह उल्लेखनीय है कि पूर्व में
संजय मेडिकल कॉलेज की एक महिला डॉक्टर
द्वारा शासन को यह रिपोर्ट भेजी गई थी कि
सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, सिंगरौली में
स्थापित उद्योगों और सीमेंट फैक्ट्रियों के द्वारा
फैलाए जा रहे प्रदूषण के चलते इन जिलों के जो
बच्चे पैदा हो रहे हैं वह अपने साथ तमाम
बीमारियां लेकर आ रहे हैं तो हाल ही में इन्हीं
जिलों में पैदा होने वाले बच्चों के बारे में एक
मेडिकल अधिकारी द्वारा यह खुलासा किया गया
था कि यह बच्चे अपने जन्म के साथ ही अपने
साथ भयंकर बीमारियां लेकर आ रहे हैं लेकिन इन
डॉक्टरों की रिपोर्टों और स्वास्थ्य विभाग की
हाल ही में जारी रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा
हुआ है कि विंध्य के सतना जिले में रोजाना पाँच
बच्चे दम तोड़़ रहे हैं। इन घटनाओं से यह जाहिर
हो जाता है कि राज्य शासन इस देश के पचपचन
की तो छोड़ो बचपन के स्वास्थ्य के प्रति कितनी
सजग है।
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