बिलासपुर ! नई आबकारी नीति के तहत कार्पोरेशन
बनाकर शराब बेचने के फैसले के खिलाफ दायर एक जनहित
याचिका स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को
नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में जवाब मांगा है। अगली
सुनवाई 21 मार्च को नियत की गई है।
सामाजिक संगठन फोरम फार जस्टिस के संयोजिका ममता
शर्मा की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने आज दो हफ्ते
में जवाब देने के लिए सरकार को नोटिस जारी किया।
जनहित याचिका में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 का
उल्लेख करते हुए कहा गया है कि कोई राज्य सरकार
मादक पदार्थ की बिक्री नहीं करेगी। औषधीय प्रयोजनों
को छोड़कर शासन का यह कर्तव्य होगा कि आम लोगों के
जीवन स्तर व स्वास्थ्य सुधार के लिए लगातार काम
करेगी एवं मादक पदार्थों की खपत कम करने का प्रयास
करेगी। इसी आधार पर राज्य सरकार द्वारा निगम बनाकर
उसके माध्यम से शराब के बिक्री कराए जाने के फैसले पर
रोक लगाने की मांग की गई है। हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने
आज इस जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए शासन को
दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया मामले
की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी। छत्तीसगढ़ सरकार
ने यह निर्णय लिया है कि राज्य में शराब बेचने का ठेका
नहीं किया जाएगा। इसकी जगह कार्पोरेशन बनाकर
सरकार खुद शराब बेचेगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईवे से
शराब दुकानें हटाने के दिए गए आदेश के बाद प्रदेश
सरकार ने इससे होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए
शराब दुकानों के संचालन की जिम्मेदारी निगम के जरिए
खुद करने का निर्णय लिया। इसके लिए छत्तीसगढ़
आबकारी (संशोधन) अध्यादेश भी लाने का निर्णय लिया
गया है। सरकार का तर्क है कि देशी-विदेशी मदिरा दुकानों
के राजस्व को सुरक्षित रखने तथा राज्य की जनता के
स्वास्थ्य के हित की दृष्टि से दोनों तरह की मदिरा का
फुटकर विक्रय का अधिकार सार्वजनिक उपक्रम को दिया
जाएगा। दूरदराज के इलाके में शराब दुकानों के लिए ठेकेदार
नहीं मिलते। निगम का गठन होने से यह समस्या दूर हो
जाएगी। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ प्रदेश भर में
विरोध शुरु हो गया है।
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