चमत्कार की बात करें, तो ऐसी अजीबो-गरीब
घटनाएं हमारे आस-पास रोज देखने सुनने को
मिल जाती है। इसी चमत्कार से जुड़ी एक
घटना काफी हैरान करने वाली है, इसके बारे में
सुनकर आप भी हो जाएंगे हैरान कि क्या ऐसा
भी कुछ हो सकता है..? जी हां, ये घटना है
पुणे-बेंगलुरु हाईवे पर बनी ऐसी दारगाह की जो
इस घटना की सच्चाई को उजागर करती है।
शिवपुर गांव में बनी हजरत कमर अली दुर्वेश
बाबा की दरगाह मुंबई से करीब 180
किलोमीटर की दूरी पर है। इस जगह पर करीब
700 साल पहले सूफी संत हजरत कमर अली
को दफनाया गया था। जिनका निधन 18 साल
की उम्र में हो गया था। उन्हें उनके निधन के
बाद संत की उपाधि से नवाजा गया था।
इस दरगाह के अंदर अजीब तरह की घटनाएं
देखने को मिलती है, बताया जाता है कि इस
दरगाह के अंदर एक 90किलो का पत्थर रखा
है। जो बिनी किसी सहारे के सिर्फ तर्जनी से
उठाया जा सकता है। आप इस पत्थर को बड़ी
आसानी के साथ तर्जनी अंगुली से उठा सकते
है। इस पत्थर को उठाने की सबसे बड़ी
खासियत ये है कि इसे सिर्फ तर्जनी के
अलावा किसी दूसरी अंंगुली से उठाने पर ये नहीं
उठ सकता, इसके साथ ही इसमें 11 लोग ही
उठा सकते है यदि लोगों की संख्या 11 से कम
हुई तो ये नहीं उठ सकता है।
क्या है स्टोरी…
ऐसा कहा जाता है इस दरगाह पर होने वाले ये
चमत्कार सूफी कमर अली के द्वारा ही किए
जाते हैं। सूफी कमर अली केवल ध्यान जप-तप
में ही विश्वास करते थें। इस तरह से उन्हें
कुछ चमत्कारिक शक्तियों की प्राप्ति हुई।
ऐसा कहा जाता है कि जिस स्थान पर आज ये
दरगाह है वहां कभी सात से आठ हजार पहले
व्यायाम शाला हुआ करती थी। कमर अली इन
चीजों से कोई लगाव नहीं था और वो केवल
शारीरिक ताकत की जगह स्पिरिचुअल ताकत
पर ज्यादा विश्वास करते थें और इसी
विश्वास को बनाए रखने के लिए उन्होंने कहा
था कि उनकी मौत के बाद एक पत्थर उनकी
कब्र पर रखा जाए और इसके बाद उनका नाम
लेकर इस पत्थर को 11 लोग ही उठाएंगे
शक्ति और चमत्कार के बल से ये पत्थर सिर
से भी ऊपर तक उठ जाएगा और ऐसा ही कुछ
उनके मरने के बाद देखने को मिला तभी से
लेकर आज तक इस दरगाह पर ऐसे कई
चमत्कार देखने को मिलते रहें हैं।
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