दुनिया में 50 फीसदी से अधिक प्रवासी केवल 10
देशों में बसते हैं। बीते 25 सालों में दूसरे देशों में
बसने वालों में क़रीब 20 फीसदी प्रवासी केवल
अमरीका में बसे हैं। प्रवासी संयुक्त राष्ट्र
आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग की
ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार अलग-अलग कारणों से
दुनिया के लगभग 4.66 करोड़ लोगों ने अपना देश
छोड़ कर अमरीका का रुख़ किया। लेकिन अगर
जनसंख्या के आंकड़ों को देखें तो यूनाईटेड अरब
अमीरात में सबसे अधिक प्रवासी बसे हैं। यहां की
जनसंख्या में 88.4 फीसदी लोग प्रवासी हैं।
वो देश जहां बीते 25 सालों से सबसे अधिक
प्रवासी पहुंचे हैं।
देश साल 1990 साल 1995 साल 2005..
साल 2015..
अमरीका 2.33 करोड़ 2.85 करोड़ 3.93 करोड़
4.66 करोड़
जर्मनी 0.59 करोड़ 0.75 करोड़ 1.03 करोड़
1.2 करोड़
रूस 1.15 करोड़ 1.19 करोड़ 1.17 करोड़
1.16 करोड़
सऊदी अरब 0.5 करोड़ 0.51 करोड़ 0.65
करोड़ 1.02 करोड़
ब्रिटेन 0.37 करोड़ 0.42 करोड़ 0.59 करोड़
0.85 करोड़
यूएई 0.18 करोड़ 0.18 करोड़ 0.33 करोड़
0.81 करोड़
कनाडा 0.43 करोड़ 0.49 करोड़ 0.61 करोड़
0.78 करोड़
फ्रांस 0.59 करोड़ 0.61 करोड़ 0.67 करोड़
0.78 करोड़
ऑस्ट्रेलिया 0.40 करोड़ 0.42 करोड़ 0.49
करोड़ 0.68 करोड़
स्पेन 0.41 करोड़ 0.41 करोड़ 0.41 करोड़
0.59 करोड़
बीते साल संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पेश करते हुए
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव यान एलियासन
ने कहा था कि हाल के सालों में प्रवासियों की
संख्या में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि
जहां इस सदी की शुरुआत में 17.3 करोड़ लोगों ने
अपना देश छोड़ा, साल 2015 तक 24.4 करोड़
लोग अपना देश छोड़ दूसरे देशों के लिए निकले।
इनमें से 2 करोड़ केवल शरणार्थी थे।
प्रवासी समझौते पर लग सकती है रोक वो 10
देश जहां की जनसंख्या में सबसे अधिक प्रवासी
हैं।
देश कुल जनसंख्या में कितने हैं प्रवासी
प्रवासियों की संख्या-
यूनाईटेड अरब अमीरात 88.4 फीसदी
8,095,126
कतर 75.5 फीसदी 1,687,640
कुवैत 73.64 फीसदी 2,866,136
लिक्टेन्स्टाईन 61.82 फीसदी 23,493
ऐण्डोरा 60.12 फीसदी 42,082
मकाऊ 58.28 फीसदी 342,703
मोनैको 55.37 फीसदी 21,042
बहरीन 51.14 फीसदी 704,137
सिंगापुर 45.39 फीसदी 2,543,638
लक्समबर्ग 43.97 फीसदी 249,325
अमरीका की बात करें तो यहां कुल जनसंख्या में
14.3 फीसदी प्रवासी हैं, वहीं जर्मनी में कुल
जनसंख्या में 11.9 फीसदी प्रवासी हैं।
(एजेंसी- सभी आंकड़े संयुक्त राष्ट्र आर्थिक
और सामाजिक मामलों के विभाग की रिपोर्ट से)