अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पर मूक-बधिर
बच्चों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम एक
चिट्टी लिख गुहार लगाई हैं, इस चिट्ठी में इन
दिव्यांग बच्चों ने अपनी सांकेतिक भाषा को
अधिकृत तौर पर भाषा का दर्जा दिया जाए,
ताकि ये सब भी समाज की मुख्य धारा से जुड़
सके।
इन दिव्यांगों का दर्द है कि उनकी सांकेतिक
भाषा को अधिकृत रूप से भाषा का दर्जा नही
दिया गया हैं। प्राथमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम
में सांकेतिक भाषा को वैकल्पिक रूप से शामिल
नही किया गया हैं, जिसके परिणामस्वरूप मूक-
बधिर दिव्यांगो को कदम-कदम पर परेशानी का
सामना करना पड़ता हैं। मुक-बधिरो का जीवन
निर्वहन साधारणतः चुनौतिपूर्ण होता हैं, ऐसे में
सांकेतिक भाषा को संवेधानिक दर्जा न मिलने
की वजह से हजारों मूक-बधिर छात्र प्राथमिक
शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
गौरतलब हैं कि इंग्लैंड और न्यूजीलैंड सहित दुनिया
के दस देशों में सांकेतिक भाषा को संवेधानिक
भाषा का दर्जा प्राप्त हैं। कुछ दिनों पहले इन
मूक-बधिर बच्चों ने अमिताभ बच्चन के एक शो में
सांकेतिक भाषा में राष्ट्रगान प्रदर्शित किया
था, जिसके बाद भावविभोर अमिताभ बच्चन ने
खुद भी पीएम से सांकेतिक भाषा को संवेधानिक
दर्जा दिए जाने की अपील की थी। इन दिव्यांग
बच्चों की मौन देशभक्ति ने समूचे भारत का ध्यान
अपनी ओर आकर्षित किया था।